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सोनीपत के गन्नौर के पुरखास राठी गांव में रहने वाले 20 साल के जतिन ने श्रद्धा और आस्था के चलते इस दुनिया को अलविदा कह दिया। दरअसल हरिद्वार से कांवड़ में 51 लीटर गंगाजल लेकर लौटे जतिन की दुखद मौत हो गई। कांवड़ यात्रा के दौरान उनकी मांसपेशियां फट गईं, लेकिन दर्द होने पर उन्होंने इसे नजरअंदाज किया और छोटा मोटा दर्द मानकर पेनकिलर दवाओं के सहारे यात्रा पूरी की। बाद में उन्हें इसकी कीमत लिवर और किडनी फेलियर से चुकानी पड़ी।
यात्रा में आया संकट
जतिन की कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के शामली के पास उनके कंधे में दर्द होने लगा। दरअसल उनके कंधे की मांसपेशी फट गई थी। तभी उनके चाचा राजेश राठी ने उन्हें रुकने की सलाह दी, लेकिन जतिन ने इसे नजरअंदाज किया और यात्रा जारी रखी। 22 जुलाई को वे शेखपुरा शिविर में रुके और अगले दिन, 23 जुलाई को शिव मंदिर में गंगाजल अर्पण कर घर लौटे। इस दौरान उन्होंने खाना भी बहुत कम खाया।
बिगड़ी तबियत
घर पहुंचने के बाद जतिन की तबियत बहुत ज्यादा खराब होती चली गई। सोनीपत के एक निजी अस्पताल में जांच में पता चला कि मांसपेशी फटने से उनके पूरे शरीर में इंफेक्शन फ़ैल चूका है। यह इंफेक्शन दो दिन में उनके लीवर और किडनी तक फैल गया। परिजन उन्हें तुरंत पानीपत के अस्पताल ले गए, लेकिन शुक्रवार की रात जतिन इस दुनिया को अलविदा कह गए।
जतिन का सपना और परिवार
जतिन के पिता देवेंद्र और दोनों चाचा शिक्षक हैं। हाल ही में 12वीं पास करने वाला जतिन विदेश जाने की तैयारी में था। साथ ही, वह अपनी बहन की नवंबर में होने वाली शादी की योजनाएं भी बना रहा था। पिछले साल 31 लीटर गंगाजल लाने वाले जतिन ने इस बार अपने 85 साल के दादा अतर सिंह को गंगाजल से स्नान कराने का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने 51 लीटर गंगाजल की कांवड़ उठाई थी।
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